कविता
( कोरोना लिंक्स- / मुख्य पेज - bejodindia.blogspot.com / हर 12 घंटों पर देखें- FB+ Bejod )
ये भी देखिये - कोरोना बेजोड़ शायरी /. कोरोना बेजोड़ चुटकुले
ये भी देखिये - कोरोना बेजोड़ शायरी /. कोरोना बेजोड़ चुटकुले
आज अहल सुबह नींद खुल गई।
बहुत साल बाद इस साल वसन्त के महीने में निश्चिंत होकर सो पाती थी।
वरना सुबह के विद्यालय में कहां नींद पूरी कर पाती थी!
जब नींद खुल गई तो चली बगिया
में फूल तोड़ने ।
अहा पुरवा बयार कितनी सुहानी लग रही थी।
चारों तरफ लाल ,पीला ,गुलाबी गुड़हल ,
कचनार, कनैल,आक, धतूरा,
बेला, कामिनी की मदिर सुवास से मन प्रफुल्लित हो गया।
दरअसल माताजी को बड़ा शौक था बागबानी का ।
सुबह हो गई थी किन्तु चारों ओर
मरघट सी वीरानी थी , कोरॉना के डर से लोग घरों में बंद थे
अजब सी वीरानी थी ,वरना सुबह सुबह
हलचल होती थी चारों ओर।
डाली भर गई थी फूलों से मगर
मैं नहीं भरा था ,
दृष्टि गुलाब की तरफ गई तो लगा
फूल आपस में बतिया रहे हों
गुलाब कचनार से कह रहा था
ऐ सखि
अपनी तो इतनी छोटी जिंदगी है
पर हंसते ही रहते है
और इंसान को देखो इतनी सी विपत्ति में हल्कान हो गया।
....
कवयित्री - चंदना दत्त
कवयित्री का ईमेल आईडी -
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.