Saturday 28 March 2020

'कोरोना' के खौफ में इश्क हुआ बन्द (कविता)

"कोरोना बंद" पर दो बंदिशें

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1
मैखाने  देखो  बंद हैं,  पैमाने  हुए  बंद
पंडितजी देखो बंद और मौलाने हुए बंद।

अल्लाह हुए बंद और भगवान हुए बंद
राहत की बात ये कि मेहमान हुए बंद।

कारोबार हुए बंद, साहूकार हुए बंद
व्यवहार देखो बंद, सरोकार हुए बंद।

रेल तक हैं बंद देखो खेल हुए बंद
जान पर बनी है तो से मेल हुए बंद।

2
लैला जो हुई बंद तो परवाने चल पड़े
दीदार की हसरत लिए दिवाने चल पड़े।

चौराहे से आगे बढे यमराज दिख गया
पिछवाड़े मेरे इश्क की फरियाद लिख गया।

कोई जा के उन्हें इश्क का सलाम कह देना
'कोरोना' के डर से बंद हैं पैगाम कह देना।।
.....

कवि - प्रकाश रंजन 'शैल', पटना।
ईमेल - prakashphc@gmail.com
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