Monday 27 April 2020

मनु कहिन (25) - भूख हावी है कोरोना के ऊपर

कविता 

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कोरोनावायरस - जैसे ही नाम जेहन मे आता है, मन एक अज्ञात आशंका से सिहर उठता है!!
तभी, ध्यान आता है रिक्शा खिंचते हुए व्यक्ति का, उन मजदूरों का जो आज कोरोनावायरस की वजह से बेरोजगार हैं!!


भूख हावी है कोरोना के ऊपर!

कोरोना तो शायद प्रारब्ध है
पर, इस भूख का क्या करें!
रोज़ एक टीस सा दे जाता है
अहले सुबह बच्चों का भूख से बिलबिलाना !
देख अफसोस होता है अपने मनुष्य होने पर
क्यों जन्म हुआ चौरासी लाख योनियों मे भटकने के बाद!
अभी तो सिर्फ 'पॉज' बटन दबा है
आगे आगे देखिए होता है क्या!
बाजारवाद और वोटों की राजनीति है साहब!
आम आदमी उतना ही समझ पाता है जितना चैनल वाले समझा जाते हैं
जो स्थिति को समझता है 
वो डरकर एक अज्ञात आशंका से सिहर उठता है
और यह देख उसका ह्रदय रो उठता है
कि अब अनेक लोग  पेट दबा, 
बच्चों को एवं खुद को पानी पिला सो जाते हैं
अगली  सुबह के इंतजार मे
आइये हम उनकी इस आस को मिटने न दें उनकी मदद करके
और प्रशासन के तमाम निर्देशों का पालन करके
ताकि हम कोरोना को भी हरा पाएं
और हरा पाएं उससे भी बड़े दुश्मन भूख को.
.........


लेखक - मनीश वर्मा
लेखक का ईमेल - itomanish@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ब्लॉग का ईमेल - editorbejodindia@gmail.com



3 comments:

  1. अति सुन्दर,संवेदनशील और सटीक

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    1. कवि की ओर से धन्यवाद। अपना नाम या ईमेल आईडी बताते तो कृपा होती।

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  2. संजीत पाठक Ssanjeetpathak.2011@gmail.com लिखते हैं - आपका आलेख पढा यह कोई कोडी कल्पना या फिर कोई फितुर नहीं अपितु सत्यता की कसौटी पर अभिलक्षीत है l आपकी लेखनी की एक सबसे बडी खूबी है कि ये सामाजिक ताना-बाना से सरोकार रखती है और मर्यादित रहती है, न्याय करती दिगर होती है l आपा- धापी की इस जिंदगी में संजीदगी के साथ कुछ ऐसा करना जो अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को सीधा असर हो और इसकी परिनिति में बस एक अदद सुकून मिले निसन्देह खुशनुमा है l आज जब लोग घर में दुबककर जिन्दगी की जदोजहद में पड़े हैं वहीं आप खाली पेट को ढूंढने में लगे हैं l इससे इतर आपकी लेखनी भी नहीं, सुकून ढूंढने का अपना भी एक तरीका...राम-राम 🙏

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