Saturday 28 March 2020

जा जा कोरोना जा तू / कवि - एकलव्य कुमार

गीत

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उकता गया है मन अब
जा जा कोरोना जा तू
माना तेरी ताकत को
अब और ना सता तू

उकता गया है मन अब
जा जा कोरोना जा तू
सड़कों पर है सन्नाटा
लगता न मन जरा सा
कैदी बनाया हमको
न और दे सजा तू
उकता गया है मन अब
जा जा कोरोना जा तू

आटा खतम हुआ है
डाटा खतम हुआ है
कब तक जियेंगे ऐसे
खुद सोचकर बता तू
उकता गया है मन अब
जा जा कोरोना जा तू
नित जा रहीं हैं जानें
निकले न कोई कमाने
मिलने से डर रहे सब
दूरी तो ना बढ़ा तू
उकता गया है मन अब
जा जा कोरोना जा तू

घर से निकलने बाहर
बच्चे  मचल रहे हैं
लोगों  के दिल की न ले
 अब और बददुआ  तू
उकता गया है मन अब
जा जा कोरोना जा तू

गर अब भी तू न चेता
बतला रहा हूँ बेटा
जब लू प्रचंड होगी
 फिर भस्म बनेगा तू
उकता गया है मन अब
जा जा कोरोना जा तू
             .......
             
कवि- एकलव्य कुमार
कवि का ईमेल - eklavyakesri@gmail.com
पतातिक्रिया हेतु ब्लॉग का ईमेल- editorbejodindia@gmail.com

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