कविता
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जहर खुद ही घोला है संसार में
अब तुम सुकूँ ढूंढते हो बाजार में
ये तुम्हारे ही कर्मों का फल है
ये तुम्हारा ही आज और कल है
गर सभी रहेंगे अपने अपने घर में
सच में शांति आ जाएगी शहर में
दोस्ती यारी तुम बाद में निभा लेना
हुनर का जलवा बाद में दिखा देना
जिंदगी कैसे कटेगी मत सोचों यारों
जिंदगी कैसे बचेगी यह सोचों यारों
बस कुछ ही दिनों की बात है
फिर सुबह सुहानी हसीं रात है
नहीं मानोगे जीना दुश्वार हो जाएगा
प्यारा सा जीवन बेकार हो जाएगा
.........
कवि - अमीर हमज़ा
कवि का ईमेल - nirnay121@gmail.com
प्र्तिक्रिया हेतु ब्लॉग के ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
Nice
ReplyDeleteअतिउत्तम
लेखनीय अच्छा है
ReplyDeleteलेखनीय अच्छा है
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